क्या हो गया है इस पीढ़ी को क्यों हो रही है इतनी आत्म-हत्यायें क्यों भंग हो रहा है मोह? क्या हो गया है इस पीढ़ी को क्यों हो रही है इतनी आत्म-हत्यायें क्यों भंग हो रहा ह...
जीत और वफाई के मध्य कामुकता की जंग एक अलग ही स्तर पर पहुँच चुकी है। जीत, अलग अलग मुद्रा में वफाई को ... जीत और वफाई के मध्य कामुकता की जंग एक अलग ही स्तर पर पहुँच चुकी है। जीत, अलग अलग...
रात भर का है मेहमाँ अँधेरा रात भर का है मेहमाँ अँधेरा
'कपडे ऐसे मालूम पड़ते थे जैसे हफ़्तों पहले से पहने घूम रही हो | गले से सीने तक फटा हुआ उसका कुर्ता उसक... 'कपडे ऐसे मालूम पड़ते थे जैसे हफ़्तों पहले से पहने घूम रही हो | गले से सीने तक फटा...
जब तिरंगे में लिपटा, उनके इकलौते बेटे पुष्कर का पार्थिव शरीर आया था। जब तिरंगे में लिपटा, उनके इकलौते बेटे पुष्कर का पार्थिव शरीर आया था।
एक वो दिन थे जब घर और मम्मी-पापा से पहली बार दूर जाना पड़ रहा था। एक वो दिन थे जब घर और मम्मी-पापा से पहली बार दूर जाना पड़ रहा था।